Author: Ravi
•5:15 AM
जब मैं छोटा थाशायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी..

मुझे
 याद है मेरे घर से "स्कूलतक का वो रास्ताक्या क्या नहीं था
वहां
चाट के ठेलेजलेबी की दुकानबर्फ के गोलेसब कुछ,

अब
 वहां "मोबाइल शॉप", "विडियो पार्लरहैंफिर भी सब सूना है..

शायद
 अब दुनिया सिमट रही है...
.
.

.
जब
 मैं छोटा थाशायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी.

मैं
 हाथ में पतंग की डोर पकडेघंटो उडा करता थावो लम्बी "साइकिल रेस",
वो
 बचपन के खेलवो हर शाम थक के चूर हो जाना,

अब
 शाम नहीं होतीदिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है.

शायद
 वक्त सिमट रहा है..

.

.
जब
 मैं छोटा थाशायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,

दिन
 भर वो हुज़ोम बनाकर खेलनावो दोस्तों के घर का खानावो लड़कियों की
बातें
वो साथ रोनाअब भी मेरे कई दोस्त हैं,

पर
 दोस्ती जाने कहाँ हैजब भी "ट्रेफिक सिग्नलपे मिलते हैं "हाईकरते
हैं
और अपने अपने रास्ते चल देते हैं,

होली
दिवालीजन्मदिन , नए साल पर बस SMS  जाते हैं

शायद
 अब रिश्ते बदल रहें हैं..

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.
जब
 मैं छोटा थातब खेल भी अजीब हुआ करते थे,

छुपन
 छुपाईलंगडी टांगपोषम पाकट थे केकटिप्पी टीपी टाप.

अब
 इन्टरनेटऑफिसहिल्म्ससे फुर्सत ही नहीं मिलती..

शायद
 ज़िन्दगी बदल रही है.
.
.
.


जिंदगी
 का सबसे बड़ा सच यही है.. जो अक्सर कबरिस्तान के बाहर बोर्ड पर
लिखा
 होता है.

"
मंजिल तो यही थीबस जिंदगी गुज़र गयी मेरी यहाँ आते आते "
.
.
.

जिंदगी
 का लम्हा बहुत छोटा सा है.

कल
 की कोई बुनियाद नहीं है

और
 आने वाला कल सिर्फ सपने मैं ही हैं.

अब
 बच गए इस पल मैं..

तमन्नाओ
 से भरे इस जिंदगी मैं हम सिर्फ भाग रहे हैं..

इस
 जिंदगी को जियो  की काटो

  
                                                                                  Courtsey: Sunil Chauhan
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